सुख दो प्रकार के होते हैं: कृत्रिम और प्राकृतिक। इन दोनों प्रकार की खुशियों के बीच बहुत स्पष्ट अंतर है। जब हमारी इच्छा पूरी हो जाती है तो हमें स्वाभाविक खुशी महसूस होती है। इसका मतलब यह है कि जब हम वह हासिल कर लेते हैं जो हम चाहते थे, तो हम वास्तव में खुश होते हैं। वहीं दूसरी ओर जब लोग अपनी इच्छा पूरी न होने पर भी खुशी जाहिर करते हैं तो वह कृत्रिम होती है। बेशक, जब हमें वह नहीं मिलता जो हम चाहते हैं तो हम स्वाभाविक रूप से खुश नहीं होते हैं, लेकिन अक्सर हमें दूसरों को यह दिखाने की ज़रूरत होती है कि हम खुश हैं।

अक्सर लोग यह नहीं सोचते कि “कृत्रिम ख़ुशी” बेहतर है। क्यों? दरअसल, लोगों को लगता है कि अगर उन्हें वह मिल जाए जो वे चाहते हैं, तो वे सचमुच खुश होंगे। अगर आपको वह नहीं मिलता जो आप चाहते हैं, तो भी आप खुश रह सकते हैं। अत: आप कृत्रिम खुशी के माध्यम से भी खुशी महसूस कर सकते हैं।