हमने अब तक जितने भी अध्ययन किए हैं, उनमें एक बात जो उभरकर सामने आई है, वह वाकई दिलचस्प है। मेरा मानना है कि हमारी जीत या हार का प्रभाव बहुत दिनों तक हमारी खुशियों पर नहीं रहता। बात चाहे चुनाव जीतने या हारने की हो, मनपसंद जीवनसाथी मिलने या नहीं मिलने की हो, नौकरी में तरक्की पाने या न पाने की हो या फिर परीक्षा में पास या फेल होने का मसला हो, इन चीजों को लेकर हम लंबे समय तक सुखी या दुखी नहीं रह सकते।

मैं इसे इस तरह समझाता हूं। जब हमें किसी क्षेत्र में जीत हासिल होती है, तो हम तुरंत खुश हो जाते हैं, पर कुछ समय बाद हमारी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। हम और ज्यादा पाने की चाहत में चिंतित हो जाते हैं। मनचाही मुराद पूरी न होने पर हम तुरंत दुखी होते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हम सहज हो जाते हैं और आगे के बारे सोचने लगते हैं।